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कोरोना की नयी नौकरियों पर काली छाया, जमशेदपुर की कई कंपनियों में अटकी नियोजन की गाड़ी

जमशेदपुर
कोरोना की तीसरी लहर का असर अब झारखंड के जमशेदपुर शहर की कंपनियों के नियोजन पर भी दिखने को मिल रहा है। नए साल-2022 में सालों से अस्थायी व ठेका मजदूर के रूप में काम कर रहे मजदूरों व उनके परिजनों में आस जगी थी कि यह वर्ष उनके लिए यादगार बनेगा। उन्हें कंपनी में स्थायी किया जाएगा जिससे उनके परिवार के बीच खुशी की लहर दौड़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन की साया सैकड़ों कर्मियों के नियोजन पर पड़ गया, जिससे उनके स्थायीकरण व बहाली की प्रक्रिया थम सी गई है। टाटा स्टील के 500 आश्रितपुत्रों के नियोजन को लेकर बीते नौ जनवरी को लिखित परीक्षा होनी थी, जो नहीं हुई। इसमें हजारों कर्मीपुत्रों ने आवेदन दिया है, लेकिन कोरोना को लेकर यह बहाली प्रक्रिया रुक गई है। वर्षों से इन निबंधितपुत्रों को कंपनी में रखने की मांग उठ रही थी। इस साल इनकी नौकरी पर मुुहर लगने वाली थी। ऐसे ही टीएसडीपीएल में सैकड़ों ठेका कर्मी अपनी स्थायीकरण की आस में भविष्य खराब कर रहे हैं। दो साल कोरोना के चक्कर में निकल गया। जब इधर नियोजन परीक्षा की बात हुई तो जिला प्रशासन की ओर से परीक्षा लेने की अनुमति नहीं मिल रही है। ऐसे में उनका नियोजन भी रुका हुआ है।

स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी में भी परीक्षा टली
गोविंदपुर स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स कंपनी में भी ठेका मजदूरों के स्थायी को लेकर परीक्षा होने वाली थी, जो इन कंपनियों को देखते हुए रोक दिया गया है। यहां भी समझौते के तहत सालों से ठेका मजदूर के रूप में काम कर रहे मजदूरों का स्थायी करना है। उधर, टिनप्लेट, टिमकेन, टाटा कमिंस आदि कंपनियों में भी कर्मचारीपुत्रों के नियोजन का मार्ग बंद है। कोरोना की तीसरी लहर के बहाने यहां का प्रबंधन फिलहाल कर्मचारीपुत्रों को काम पर रखने की बात ही नहीं कर रहा है।

कोरोना की काली साया गुजरने का इंतजार
फिलवक्त नौकरी की आस लगाए अभ्यर्थी कोरोना की काली साया गुजरने का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि कोरोना की तीसरी लहर थमने के बाद उनकी नौकरी की आस पूरी होगी।

 

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