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बसपा के ‘कट्टर वोट’ में होगी सेंधमारी, OBC नेताओं की टूट के बाद BJP का नया प्लान

लखनऊ
स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी सहित कई मंत्री-विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा अब नए सिरे से मोर्चेबंदी की तैयारी में जुटी है। पिछड़ों को साधने के अलावा पार्टी की नजर अब बसपा के दलित वोट बैंक पर है। भाजपा ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पहले पार्टी गैर जाटव वोटों पर ही ज्यादा फोकस कर रही थी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने हाल ही में पार्टी के ज्वाइनिंग कार्यक्रम में संकेत दिए थे कि बसपा और सपा के बूथ स्तर के लोगों को भाजपा से जोड़ने की मुहिम चलेगी। पार्टी ने अब उस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। दरअसल दलित राजनीति के बूते ही बसपा ने सूबे की राजनीति में एक अलग मुकाम हासिल किया था। उसमें भी सबसे ज्यादा भूमिका जाटवों की थी, जिनकी दलितों में संख्या सर्वाधिक है। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव हो या बीते विधानसभा चुनाव, जाटव समाज ने बसपा का दामन नहीं छोड़ा। यही कारण है कि बसपा के वोट प्रतिशत पर बहुत बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला। मगर इस बार सत्ता को लेकर सर्वाधिक जोर आजमाइश भाजपा और सपा के बीच ही चल रही है। प्रतिस्पर्द्धा में आगे निकलने को भाजपा ने अब बसपा के मजबूत वोट बैंक में भी सेंधमारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
 
दलितों को रिझाने की भाजपा की योजना
दलितों को रिझाने के लिए पार्टी ने दो तरह की योजना की है। एक ओर पार्टी के छोटे से लेकर बड़े जाटव और अन्य दलित नेताओं को इस मोर्चे पर लगाया जा रहा है। इन नेताओं के प्रवास दलित बस्तियों में लगाए जा रहे हैं। वहीं मोदी और योगी सरकार की योजनाओं से कैसे दलित और पिछडे तबके के लोगों को लाभ पहुंचा, यह भी बताया जाएगा। इसमें मुफ्त राशन, कोरोना काल में पीएम स्वनिधि योजना के तहत बिना ब्याज के रेहड़ी-फेरीवालों को दिया गया बैंक ऋण, उज्ज्वला, आवास सहित अन्य योजनाएं शामिल हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डा. भीमराव आंबेडकर से जुड़े स्थानों को सहेजने की जो पहल की थी, उसे प्रचारित किया जा रहा है।

दलित-पिछड़े लाभार्थियों से विशेष संपर्क
भारतीय जनता पार्टी ने 11 जनवरी से घर-घर संपर्क अभियान शुरू कर दिया है। इसके साथ ही पार्टी पिछड़ों और दलितों को लेकर अलग मुहिम छेड़ने जा रही है। पार्टी के पास केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों का पूरा डाटा उपलब्ध है। इसमें से पिछड़ों और दलितों का डाटा अलग किया गया है। सूत्रों के मुताबिक इसके आधार पर दलित और पिछड़ी जातियों के लाभार्थियों के बीच पार्टी विशेष संपर्क अभियान के जरिए अपनी पैठ बढ़ाएगी। यह समझाने का प्रयास किया जाएगा कि इन योजनाओं का लाभ खासतौर से इन्हीं वर्गों के गरीब तबके को हुआ है।

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