राजस्थान: जैसलमेर में ‘विकसित सभ्यता’ के अवशेष, खुदाई में मिला प्राचीन मटका
जैसलमेर
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर पूरी दुनिया में विख्यात है और इसी राजस्थान की मिट्टी के नीचे सैकड़ों साल पुराना प्राचीन मटका मिला है। जैसलमेर जिले के एक गांव में खुदाई के दौरान मिले प्राचीन मटके को देख ग्रामीण चौंक गए। पहले तो प्राचीन मटकी को देख पूरा गांव इकट्ठा हो गया लेकिन बाद में ग्रामीणों ने इस मटके को पुरातत्व विभाग को सौंप दिया। दरसअल जैसलमेर क्षेत्र के देगराय ओरण में वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम विश्नोई, सुमेरसिंह सांवता, सहित कुछ वन्यजीव प्रेमी वन्यजीवन को देखने के लिए निकले हुए थे। इस दौरान देगराय ओरण में सुमेर सिंह भाटी को मिट्टी के ऊपर से मटके के मुंह के आकार जैसी एक वस्तु नजर आई। जिस पर उन्होने नजदीक जाकर हाथों से मीट्टी को हटाकर देखा तो एक छोटे आकार का मटका निकला। मटके को देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। धीरे-धीरे सूचना फैली और प्राचीन मटके को देखने के लिए लोग उमड़ने लगे। वन्यजीव प्रेमी सुमेर सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या से मटका सैकड़ों साल पुराना लग रहा है। वन्यजीव प्रेमियों ने इसको लेकर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को सूचित किया।
साढ़े छह सौ सालों से सुरक्षित है ओरण
गौरतलब है कि देगराय ओरण जो साढ़े छह सौ सालों से ओरण रूप में सुरक्षित है उसमें बरसातों के बाद जलप्रवाह मार्गों पर मिट्टी के चित्रित बर्तनों के टुकड़े पहले भी प्राप्त होते रहे हैं। सम्भवतः इस क्षेत्र के ओरण घोषित होने से पूर्व कभी कोई विकसित संस्कृति मौजूद रही होगी। जैसलमेर में इस प्रकार के टूटे मृदभांड व बर्तनों के टुकड़े फतहगढ़ तहसील के कुण्डा व कोहरा गांवों के ओरण व आसपास भी प्राप्त होते रहते हैं, जिन पर पुरातत्व शोध की गुंजाइश है।
पुरातत्व विभाग को सुपुर्द किया प्राचीन मटका
वन्य जीव प्रेमी व ग्रामीणों ने सैकड़ों वर्ष पुराने मटके को पुरातत्व विभाग को सौंप दिया है। अब ग्रामीणों ने पुरातत्व विभाग से मांग भी की है कि इस सैकड़ों वर्ष पुराने मटके की जांच कर इसके इतिहास की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि पता चल सके कि इस क्षेत्र में इस तरह की प्राचीन चीजें कौन से काल में इस्तेमाल होती थीं।