कोरोना सैंपलिंग के दो दिन बाद भी नहीं मिल पा रही रिपोर्ट
भोपाल
राजधानी में कोरोना की रफ्तार इसलिए बढ़ रही है क्योंकि फर्स्ट कॉन्टेक्ट के 30 संदिग्धों की टेÑसिंग करनी है और आधी भी नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं सैंपलिंग के दो दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं पा रही है। ऐसे में सस्पेक्टेड कोविड मरीज सुपर स्पे्रडर बन शहर में मूवमेंट कर रहे हैं।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य संचालनालय ने राजधानी समेत प्रदेशभर के सभी सीएमएचओ को निर्देशित किया था कि संक्रमित के संपर्क में आए फर्स्ट कॉन्टेक्ट के 30 लोगों की कोरोना जांच करनी है और स्वास्थ्य विभाग बमुश्किल से आधी भी नहीं कर पा रहा है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो फर्स्ट कॉन्टेक्ट के 10 से 15 लोगों की ही टेÑसिंग हो पा रही है। वह सैंपलिंग के बाद रिपोर्ट के न आने सुपर स्पे्रडर बनकर शहर में घूमते रहते हैं। नतीजा संपर्क में आए अन्य लोग भी संक्रमित हो रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सैंपलिंग के 24 घंटे अंदर संदिग्ध को रिपोर्ट देनी है जिससे उसे पता चल सके। साथ ही सर्विलांस टीम उसे डिटेक्ट कर सके,लेकिन यहां कोरोना की रिपोर्ट दो से तीन दिन बाद भी नहीं मिल पा रही है । इतना ही नहीं कुछ लोगों को तब पता चलता है जब उनकी आइसोलेशन अवधि पूरी हो जाती है।
दरअसल,कोरोना के सैंपलिंग के दौरान लोगों से उनके पते और मोबाइल नंबर बिना प्रमाण के लिए जाते हैं। ऐसे में जो व्यक्ति कोरोना की जांच करा रहे हैं उनमें से ज्यादातर लोग गलत पता और बंद मोबाइल नंबर दे रहे हैं। ऐसे में कोरोना कंट्रोल की सर्विलांस टीम उनकी ही टेÑसिंग नहीं कर पा रही है तो फर्स्ट कॉन्टेक्ट की टेÑसिंग कैसे करे।
कोरोना रिपोर्ट की लेटलतीफी से बढ़ी परेशानी, संक्रमण का खतरा
बिलखिरिया इलाके में रहने वाले ब्रजेश जैन ने बताया कि तीन दिन पहले उन्होंने कोरोना का आरटीपीसीआर से टेस्ट करवाया था,लेकिन अभी तक न हमें इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है कि हमारी रिपोर्ट पॉजिटिव है या निगेटिव। इनता ही नहीं सर्विलांस टीम ने भी हमसे कोई संपर्क नहीं किया।
पुराना भोपाल इलाके में रहने वाले नितिन तिवारी ने बताया कि कोरोना के सामान्य लक्षण महसूस होने पर हमनें आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया था,लेकिन अभी भी हमारी रिपोर्ट नहीं मिली है।