मोदी सरकार की अनूठी योजना, ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों के चालान के पैसे से बचाई जाएगी जनता की जान
नई दिल्ली
केंद्र सरकार यातायात कानून तोड़ने वाली जनता से वसूली गई जुर्माना राशि को जनता की भलाई पर खर्च करने की तैयारी कर रही है। इस अनूठी योजना में जनता के पैसे से जनता की जान बचाई जाएगी। इसमें एक विशेष कोष बनाया जाएगा। इस पैसे का इस्तेमाल जिला, पंचायत और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की सड़कों की सुरक्षा मजबूत करने पर किया जाएगा। वहीं, अगले चरण में इस कोष से सड़क दुर्घटना में घायलों के लिए फ्री ट्रीटमेंट सुविधा शुरू की जा सकती है। सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि स्वर्मिण चतुर्भुज (5846 किमी) योजना पर फ्री ट्रीटमेंट शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें सड़क हादसों में घायलों का 30 हजार रुपये तक का फ्री इलाज होगा। उन्होंने बताया कि चरणबद्ध तरीके से लागू हो रही उक्त योजना को राज्य राजमार्गों व अन्य सड़क यात्रियों के लिए शुरू किया जा सकता है।
वसूली गई धनराशि से मरम्मत कार्य होंगे
देश की अन्य सड़कों के इस विशाल नेटवर्क की सड़क सुरक्षा मजबूत करने के लिए यातायात पुलिस, परिवहन विभाग व अन्य एजेंसियों द्वारा कानून तोड़ने वालों से वसूली गई धनराशि को खर्च करने की योजना है। पर्यटन व परिवहन संसद की स्थायी समिति ने भी इस दिशा में काम करने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय को सुझाव दिया है। मंत्रालय ने समिति से इस पर अमल करने को अश्वासन दिया है। अधिकारी ने बताया योजना के तहत सड़क सुरक्षा कोष में जुर्माना की राशि जमा की जाएगी। इस राशि से सड़कों के ब्लैक स्पॉट, डिवाइडर, सड़क संकेतक, गड्ढे, क्रैश बैरियर, साइन बोर्ड आदि लगाए जाएंगे। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर अंडरपास-ओवरपास, इंटरचेंज आदि का निर्माण किया जाएगा।
राजमार्ग से अधिक अन्य सड़कों पर दुर्घटनाओं में ज्यादा मौतें
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हर साल राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राज्यमार्गों (एसएच) से अधिक देश की अन्य सड़कों पर दुर्घटनाओं में मौतें हो रही हैं। 2019 के आंकडों के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों में 53,872 यात्रियों की मौत (35 फीसदी) हुई, जबकि राज्य राजमार्गों पर 38472 लोगों की मुत्यु (25 प्रतिशत) और अन्य सड़कों पर 58,769 लोगों ने दम तोड़ (38 फीसदी) दिया। कमोबेश घायलों का प्रतिशत भी अन्य सड़कों का ज्यादा है। इस कारण यह है कि देश भर की कुल सड़क नेटवर्क में एनएच की 2.1 फीसदी, एसएच की 3.1 फीसदी और अन्य सड़कों की हिस्सेदारी 94.96 फीसदी (लगभग 60 लाख किमी) है।