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January 14, 2025

फिर शुरू होगा किसान आंदोलन? SKM का ऐलान- 31 को वादाखिलाफी दिवस, 1 फरवरी से मिशन यूपी का बनाया प्लान

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नई दिल्ली।

तीन विवादित कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वार वापस लेने के बाद किसान आंदोलन बेशक खत्म हो गया हो, लेकिन किसानों की कई समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शनिवार को एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र और राज्य सरकारों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। SKM ने आज ऐलान किया कि आगामी 31 जनवरी को 2022 को देशभर के किसान वादाखिलाफी दिवस के रूप में मनाए जाएंगे। इस दौरान जगह-जगह पर पीएम नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे। SKM ने कहा कि किसानों से किए गए वादों के अनुसार किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस नहीं लेने और मुआवजा देने के लिए राज्य सरकारों ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। इसको लेकर किसानों में आक्रोश है।

किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन की समाप्ति के बाद आज सरकार के वादों की समीक्षा के दौरान यह महसूस किया गया कि सरकार ने एमएसपी पर अब तक कोई कमेटी नहीं बनाई है, किसान संगठनों से भी कोई संपर्क नहीं किया गया है। सरकार ने किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के अपने वादे पर भी अमल नहीं किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा को छोड़कर बाकी किसी भी राज्य ने किसानों के खिलाफ दर्ज किसे अब तक वापस नहीं लिए हैं और ना ही मुआवजे को लेकर कोई ऐलान किया है।
 

युद्धवीर सिंह ने कहा कि इसलिए सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ किसान एक बार फिर पूरे देश के जिला मुख्यालय, ब्लॉक मुख्यालय और तहसीलों पर प्रदर्शन करेंगे और पुतले फूंकेंगे। इसके बाद भी अगर सरकार बातचीत नहीं करती है तो और अड़ियल रवैया अख्तियार कर बैठी रहती है तो 1 फरवरी से मिशन यूपी शुरू किया जाएगा।

इसके साथ ही किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने को लेकर भी गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि किसानों का दूसरा बड़ा मुद्दा लखीमपुर खीरी था, इस पर भी अब तक कुछ नहीं हुआ, जबकि अब तो एसआईटी ने भी इसे साजिश के तहत कृत्य करार दे दिया है। इसके बाद भी सरकार अजय मिश्रा टेनी को बचाने में लगी है। किसान मोर्चा ने आज ऐलान किया कि 21 जनवरी से किसान साथी लखीमपुर खीरी जाएंगे और सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाएंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को किसानों की चिंता नहीं है। सरकार टेनी को बचाकर अपना वोट बैंक साधने में लगी है। दूसरी ओर पीड़ितों को ही धारा 302 लगाकर जेलों में डाल दिया गया है। इस संबंध में आगे की रणनीति को लेकर राकेश टिकैत 3 दिन के लखीमपुर खीरी दौरे पर जाएंगे और इसका समाधान करने का प्रयास करेंगे। यदि इसके बावजूद इसका हल नहीं निकलता तो फिर किसान लखीमपुर खीरी में डेरा डालेंगे।

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