धर्म-अध्यात्म

हर रंग कुछ कहता है, रंगों के लिए क्या है वास्तु नियम

दिवाली का त्योहार नजदीक है ऐसे में आप घर या अपने ऑफिस को रंग-रोगन करवाने का प्लान भी कर रहे होंगे। ऐसे में कहां क्या रंग करवाया जाए जो कि वास्तु के नियमों के अनुरूप हो। वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर रंग करवाने से घर में पंचतत्वों का संतुलन ठीक बना रहता है और घर में खुशहाली बनी रहती है।

घर की साज-सज्जा में रंगों का उपयोग वास्तुशास्त्र की दृष्टि में एक शक्तिशाली उपकरण है। हमारे आस-पास मौजूद रंगों के अनुसार व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित होता है। सत्व, रजस व तमस इन तीन प्रकार के गुणों से रंगों का गहरा संबंध होता है।

आसमानी, हरे, सफेद तथा अन्य हलके रंगों को सत्व माना गया है। तीखे लाल, नारंगी और गुलाबी रंग रजस कहलाते हैं जो इच्छाओं में वृद्धि करते हैं। तामसिक रंग गहरे होते हैं इनमें गहरे नीले, भूरे एवं काले रंग मुख्य हैं। घर की सजावट में तामसिक रंगों की अवहेलना करनी चाहिए। ये रंग व्यक्ति को सुस्त व आलसी बनाते हैं। घर में सौहार्द वातावरण के लिए नम्र,हल्के व सात्विक रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

कौन सा रंग कहां हो  

हरा और नीला रंग
हल्के नीले एवं हरे रंग को वास्तु में स्वास्थ्य के प्राकृतिक स्त्रोत के रूप में देखा जाता है। ये रंग ठंडे और कोमल होते हैं व इनसे संयमित और शांतिमय विकंपन पैदा होता है। इन रंगों का प्रयोग घर के ड्राइंग रूम में करना उचित है। हल्के नीले रंग का बाथरूम भी वास्तु में शुभ माना गया है।

पीला रंग
पीला रंग व्यक्ति के स्नायु तंत्र को संतुलित व मस्तिष्क को सक्रिय रखता है। अतः इस रंग को अध्ययन कक्ष या लाइब्रेरी में उपयोग करना लाभप्रद होगा।

बैंगनी रंग
बैंगनी रंग को उत्साहवर्धक एवं अवसाद का नाश करने वाला माना जाने के कारण इसका उपयोग योग व साधना कक्ष या पूजा स्थल में शुभ होता है।

सफेद रंग
कमरे की छत को सफेद रंग से पेंट करने पर कमरे में अधिक ऊष्मा व प्रकाश रहेगा पर पूरे कमरे में सफ़ेद रंग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वास्तु में इस रंग को अल्पजीवी माना गया है।

लाल, गुलाबी और नारंगी रंग
गुलाबी, लाल, नारंगी रंग आपसी संबंधों को सुदृढ़ बनाते है अतः शयन कक्ष में इन रंगों का प्रयोग लाभकारी सिद्ध होगा। रसोईघर में भी लाल रंग शुभ फलों में वृद्धि करता है। घर के मुख्य द्वार के लिए रंग का चुनाव घर की दिशा के आधार पर किया जाना चाहिए,ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जाओं में वृद्धि होगी एवं पर्यावरण सौहार्दपूर्ण बनेगा।

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