माघ मेला 2022: कल्पवास करने से खुल जाता है स्वर्ग का द्वार
प्रयागराज
सोमवार को पौष पूर्णिमा से गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर कल्पवास शुरू हो गया है। देश के विभिन्न भागों से आए हजारों कल्पवासी एक माह तक संयमित और अनुशासित जीवन की साधना करेंगे। जीवन मृत्यु के बंधनों से मुक्ति की कामना के साथ कल्पवासी तंबुओं की नगरी से साल भर की शक्ति बटोर कर ले जाएंगे। मान्यता है कि कल्पवास करने से स्वर्ग का द्वार खुल जाता है। कल्पवास में आध्यात्मिक के साथ वैज्ञानिक नजरिया भी महत्वपूर्ण है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तीर्थराज प्रयाग के संगम तट पर माघ महीने में एक माह तक पुण्यफल प्राप्त होता है। कल्पवास के दौरान स्नान करने से वही फल है जो रोज करोड़ों गायों के दान का है। इसलिए पौष पूर्णिमा माघ महीने में स्नान और कल्पवास का संकल्प लिया जाता है। आर्य विद्वत परिषद के अध्यक्ष डॉ. रामजी मिश्र ने बताया कि कल्प का अर्थ है युग। और वास का अर्थ है रहना। यानी किसी पवित्र भूमि में कठिन तप के साथ विरक्ति भाव से प्रेरित होकर निश्चित समय तक रहना कल्पवास माना जाता है। इस तप साधना से आत्म शुद्धि मिलती है। रविवार को भी माघ मेले में पूरे दिन कल्पवासियों के आने का क्रम जारी रहा।